साथ...
बहुत दिनों बाद
बगीचे की सैर को पहुँची
मुझे देख
वहां के दरख़्त, पेड़, झाड़ियाँ
और यहाँ तक कि टूटे पत्ते भी
मुस्कुराये, खिलखिलाए, तालियाँ बजाईं.
ठंडी हवा खिलखिलाई, खुशबू महकाई
तारो ताजा हो उठी मैं,
फिर उठी और चल पड़ी.
तभी बुजुर्ग दरख़्त की
एक डाली लटकी, लचकी और
मेरे पास आई
और कानों में बोली
कभी आ जाया करो यहाँ भी
अच्छा लगता है.
(चित्र असम के शिवसागर में स्थित रोंगघर के अंदर से बगीचे का है, मेरे अपने चित्रों में से एक)
(चित्र असम के शिवसागर में स्थित रोंगघर के अंदर से बगीचे का है, मेरे अपने चित्रों में से एक)
खुबसूरत काव्यअभिव्यक्ति रुचिकर प्रसंग सुंदर बन पड़े हैं जी .... मुबारक ..
जवाब देंहटाएंतभी बुजुर्ग दरख़्त
जवाब देंहटाएंबस इन बुजुर्ग दरख्तों का आशीर्वाद बना रहे ...और हम ताज़ी हवा लेते रहें ...वैसे आज वक़्त किसके पास है इन बुजुर्गों से मिलने के लिए ......चाहे वह दरख़्त हों या फिर घर के बड़े सदस्य ....!
कभी आ जाया करो यहाँ भी
जवाब देंहटाएंअच्छा लगता है.
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
यह तो मैंने भी कहा था ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
जरूर जाया कीजिये बगीचे की सैर पर । बहुत खूबसूरत कविता ।
जवाब देंहटाएंBahut pyaree rachana hai!
जवाब देंहटाएंSwatantrata Diwas kee anek shubh kamnayen!
ताज़ा झोंके की तरह तरो ताज़ा करती रचना ।
जवाब देंहटाएं@तभी बुजुर्ग दरख़्त की
जवाब देंहटाएंएक डाली लटकी, लचकी और
मेरे पास आई
और कानों में बोली
कभी आ जाया करो यहाँ भी
अच्छा लगता है...
वाह,अंतर्मन को छू गयी आपकी रचना,आभार.
बहुत ही मार्मिक बात कह दी आपने। आंख भर आई।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा है .आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति आभार
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन और स्वंतत्रता दिवस पर ढेर सारी शुभकामनायें.
बहुत सुंदर ..संवेदनशील अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंखूबसूरत कविता...जीवन को देखने का नया नजरिया...
जवाब देंहटाएंउन्हें भी प्रतीक्षा रहती है।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब,
जवाब देंहटाएंबढ़िया कविता।
बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना,
जवाब देंहटाएंभारतीय स्वाधीनता दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं .
आज 14 - 08 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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वाह बहु्त सुन्दर भाव संजोये हैं।
जवाब देंहटाएंbilkul... jana chahiye
जवाब देंहटाएंखुबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबुजुर्गों के मन की बात को बूढ़े दरख़्त द्वारा कहलाना अच्छा लगा ..
जवाब देंहटाएंअब तो हमारे दिन भी आ गए हैं यह कहने के लिए कि -- कभी आ जाया करो यहाँ भी ..अच्छा लगता है
अच्छा लगता है ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही अल्हड सी ... लाजवाब रचना ... मज़ा आ गया ...
खुबसूरत अभिव्यक्ति....रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंरचना दीक्षित जी
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेहाभिवादन !
बहुत प्यारी रचना है … भीतर तक पहुंचने वाली
मुझे देख … दरख़्त, पेड़, झाड़ियां
और यहां तक कि टूटे पत्ते भी
मुस्कुराये, खिलखिलाए, तालियां बजाईं.
ठंडी हवा खिलखिलाई, खुशबू महकाई
तारो ताजा हो उठी मैं,
आहाऽऽहाऽ……… !
कितनी जीवंत … कितनी सरस रचना है …
कभी आ जाया करो यहां भी
अच्छा लगता है !
आपके आने से हर ब्लॉग पर भी ऐसा ही कुछ होता है … :))
मैं भी कहूंगा - आया कीजिए न !
आपकी काव्य कला को नमन ! हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना ! पौधे हों या इंसान मिलना जुलना सबको अच्छा लगता है...
जवाब देंहटाएंउम्र के आख़िरी पड़ाव में अकेलेपन के दर्द को अभिव्यक्त करती बहुत मर्मस्पर्शी रचना..
जवाब देंहटाएंसहज रूप में बुजुर्गों की पीड़ा की मार्मिक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर काव्यअभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
सुन्दर भावाभिव्यक्ति .
जवाब देंहटाएंस्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
"तभी बुजुर्ग दरख़्त की एक डाली लटकी,
जवाब देंहटाएंलचकी और मेरे पास आई और
कानों में बोली कभी आ जाया करो यहाँ भी
अच्छा लगता है"
काफी अर्थपूर्ण पंक्तियाँ लिखी हैं आपने.
atithi devo bhav....bas yahi bhaav hai aaj bhi....to aate raha karo na....:)
जवाब देंहटाएंsunder abhivyakti.
सुन्दर अभिव्यक्ति के साथ भावपूर्ण कविता लिखा है आपने! शानदार प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
कभी आ जाया करो यहाँ भी
जवाब देंहटाएंअच्छा लगता है...
उफ्फ्फ ...
ise pahle bhi aakar laut gayi ,tippani box nahi khul raha tha .
जवाब देंहटाएंभी बुजुर्ग दरख़्त की एक डाली लटकी, लचकी और मेरे पास आई और कानों में बोली कभी आ जाया करो यहाँ भी अच्छा लगता है.
ye panktiyaan rachna ki jaan hai ,bha gayi bahut ,sach har koi yahi chahta hai kuchh pal sang gujre .swatantrata divas ki dhero badhai aapko .
बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
संवेदनशीलता उफान पर है .भावप्रवणता ने भिगो दिया .
जवाब देंहटाएंrachna ji
जवाब देंहटाएंaapne to gagar me sagar bhar diya wali kahavat ko charitarth kar diya hai .bahut hi gahri baat bahut hi saral shbdo me abhivykt kiya hai.is behtreen prastuti keliye
bahut bahut badhai
poonam
बुजुर्ग दरख़्त ...सुन्दर प्रस्तुति.स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत खूब कहा है आपने ...बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंखुबसूरत भावाभिव्यक्ति.....भाव युक्त शब्दों का उतनी ही सुन्दर तस्वीर के साथ अद्भुत संयोजन.....सादर !!!
जवाब देंहटाएंअब तो आप समझ ही गयी होंगी कि उन पीली पत्तों के पीले पड़ जाने का क्या कारण रहा होगा.. उस बीधे वृक्ष की बातें हम भी आपसे कहेंगे!!
जवाब देंहटाएं"तभी बुजुर्ग दरख़्त की
जवाब देंहटाएंएक डाली लटकी, लचकी और
मेरे पास आई
और कानों में बोली
कभी आ जाया करो यहाँ भी
अच्छा लगता है."
"बुजुर्ग दरख़्त" के छोटे से बिम्ब के सहारे यह कविता कितना कुछ कह गई,एक ऐसा सन्देश दे गई जिसे अपनाओ तो सुख,ठुकराओ तो दुःख का ढेर मिलेगा.रचना जी,आपकी भावनाओं और काव्य प्रतिभा को मेरा नमन है.देर से आने का पछतावा है.
सुन्दर रचना और तदोपरी सुन्दर चित्र !
जवाब देंहटाएंनमस्कार....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें
मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में........
आपका ब्लागर मित्र
नीलकमल वैष्णव "अनिश"
इस लिंक के द्वारा आप मेरे ब्लाग तक पहुँच सकते हैं धन्यवाद्
वहा से मेरे अन्य ब्लाग लिखा है वह क्लिक करके दुसरे ब्लागों पर भी जा सकते है धन्यवाद्
MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......
तभी बुजुर्ग दरख़्त की
जवाब देंहटाएंएक डाली लटकी, लचकी और
मेरे पास आई
और कानों में बोली
कभी आ जाया करो यहाँ भी
अच्छा लगता है.............
बहुत दिनों बाद आये है हम भी इन ब्लोग्स की हसीन वादियों में सच कहा आपने ..बहुत अच्छा लगता है आज आपकी कई रचनाएँ पढी .लेकिन ये बहुत खास और दिलकश लगी ..वैसे आप बहुत मेहनत करती है बहुत समर्पित है लेखन के प्रति ..बंधी स्वीकारें .
और हाँ इतने लम्बे अरसे के बाद आने पर आपने हमारा जो हौसला बढ़ाया उसके लिए तह-ए-दिल से आभार
Very useful reading. Very helpful, I look forward to reading more of your posts.
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